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डिजिटल कंटेंट क्रिएशन की लगातार बदलती दुनिया में, हाल ही में भारतीय यूटूबर्स को कॉपीराइट स्ट्राइक से जुड़ी एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा। यह विवाद एशियन न्यूज इंटरनेशनल (ANI) नामक एक प्रमुख समाचार एजेंसी और कंटेंट क्रिएटर्स के बीच छोटे समाचार क्लिप्स के उपयोग को लेकर हुआ। इस स्थिति ने फेयर यूज़, कॉपीराइट प्रवर्तन और डिजिटल क्रिएटर्स के अधिकारों पर बहस को जन्म दिया।
ANI विवाद: एक संक्षिप्त झलक
यह मामला तब सामने आया जब यूट्यूबर मोहत मंगल ने आरोप लगाया कि ANI ने उनके चैनल पर 9 से 11 सेकंड तक के छोटे क्लिप्स के उपयोग को लेकर कॉपीराइट स्ट्राइक जारी की। मंगल का कहना था कि ANI ने इन स्ट्राइक्स को हटाने के बदले में ₹45 से ₹50 लाख तक की भारी रकम की मांग की। उन्होंने इसे कॉपीराइट कानून का दुरुपयोग बताया और इसकी तुलना “जबरन वसूली” से की।
यूट्यूब की नीति के अनुसार, यदि किसी चैनल पर 90 दिनों के भीतर तीन कॉपीराइट स्ट्राइक आ जाएं तो उसका चैनल स्थायी रूप से बंद किया जा सकता है। यह नीति क्रिएटर्स पर भारी दबाव डालती है, खासकर तब जब विवाद निपटाने के लिए उनसे इतनी बड़ी रकम मांगी जाती है।
सरकार की प्रतिक्रिया: PB-SHABD की शुरुआत
कंटेंट क्रिएटर्स की बढ़ती चिंताओं को देखते हुए, भारत सरकार ने प्रसार भारती के माध्यम से मार्च 2024 में PB-SHABD पहल की शुरुआत की। PB-SHABD (Prasar Bharati – Shared Audio-Visuals for Broadcast and Dissemination) एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जहाँ कॉपीराइट-मुक्त कंटेंट का संग्रह उपलब्ध कराया गया है। इसमें वीडियो, ऑडियो, टेक्स्ट और फोटोज़ शामिल हैं, जो दूरदर्शन, आकाशवाणी और प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) से प्राप्त होते हैं।
इस प्लेटफॉर्म का उद्देश्य क्रिएटर्स को प्रामाणिक और सुरक्षित कंटेंट प्रदान करना है ताकि वे बिना किसी कॉपीराइट स्ट्राइक के डर के, स्वतंत्र रूप से कंटेंट बना सकें। छोटे मीडिया संगठनों और स्वतंत्र क्रिएटर्स की ज़रूरतों को समझते हुए, प्रसार भारती ने PB-SHABD का नि:शुल्क उपयोग मार्च 2026 तक के लिए उपलब्ध कराया है।
कंटेंट क्रिएटर्स के लिए इसके क्या मायने हैं?
ANI विवाद ने यह साफ कर दिया कि डिजिटल क्रिएटर्स कॉपीराइट प्रवर्तन के सख्त नियमों के सामने कितने असुरक्षित हैं। बेशक, बौद्धिक संपदा अधिकारों की सुरक्षा ज़रूरी है, लेकिन यह स्थिति दिखाती है कि समाचार और शैक्षिक कंटेंट को लेकर फेयर यूज़ की अधिक स्पष्ट और न्यायसंगत गाइडलाइनों की ज़रूरत है।
PB-SHABD की शुरुआत इस दिशा में एक सकारात्मक कदम है, जो क्रिएटर्स को ऐसी सामग्री प्रदान करता है जिससे वे बिना डर के कंटेंट बना सकें। हालांकि, कॉपीराइट संरक्षण और रचनात्मक स्वतंत्रता के बीच संतुलन की बहस अभी भी जारी है।
अस्वीकरण (Disclaimer): यह लेख केवल जानकारी देने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें व्यक्त विचार सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी पर आधारित हैं और यह कानूनी सलाह नहीं माने जाने चाहिए। पाठकों को कॉपीराइट कानूनों और संबंधित विषयों पर मार्गदर्शन के लिए कानूनी विशेषज्ञों से परामर्श लेने की सलाह दी जाती है। लेखक और प्रकाशक इस लेख की सामग्री के आधार पर की गई किसी भी कार्रवाई के लिए उत्तरदायी नहीं हैं।
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