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भारत में गोल्ड लोन: कई लोगों के लिए जीवन रेखा
भारत में सोना केवल संपत्ति का प्रतीक नहीं है; यह एक वित्तीय सुरक्षा कवच भी है। संकट की घड़ी में परिवार अक्सर तात्कालिक नकदी के लिए अपने गहनों के बदले गोल्ड लोन लेते हैं। गोल्ड लोन की मांग में बढ़ोतरी और उससे जुड़े जोखिमों को देखते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने पारदर्शिता सुनिश्चित करने और उधारकर्ताओं की सुरक्षा के लिए नए दिशा-निर्देशों का प्रस्ताव रखा है।
आरबीआई के प्रस्तावित गोल्ड लोन दिशा-निर्देश
अप्रैल 2025 में, आरबीआई ने गोल्ड लोन से जुड़ी प्रक्रियाओं को मानकीकृत करने के उद्देश्य से मसौदा दिशा-निर्देश जारी किए। प्रमुख प्रस्तावों में शामिल हैं:
- लोन-टू-वैल्यू (LTV) अनुपात: एलटीवी को अधिकतम 75% तक सीमित किया गया है, यानी उधारकर्ता सोने के मूल्य के अधिकतम 75% तक का लोन ले सकते हैं।
- योग्य संपार्श्विक (Collateral): केवल सोने के गहने और बैंकों द्वारा जारी किए गए सिक्के ही स्वीकार्य होंगे। सोने की ईंटें, डली (ingots) और बुलियन (bullion) को शामिल नहीं किया गया है।
- मालिकाना प्रमाण: उधारकर्ताओं को गहनों की खरीद रसीद या मालिकाना का कोई अन्य प्रमाण देना होगा। रसीद न होने की स्थिति में घोषणापत्र (declaration) देना अनिवार्य होगा।
- लोन का उपयोग की निगरानी: यदि लोन का उपयोग आय सृजन (income-generating) के लिए किया जा रहा हो, तो ऋणदाता को यह सुनिश्चित करना होगा कि निधियों का उपयोग उसी उद्देश्य के लिए हो रहा है।
- बुलेट रिपेमेंट लोन (Bullet Repayment Loans): इस प्रकार के लोन की अधिकतम अवधि 12 महीने तक सीमित होगी।
- संपार्श्विक की सीमा: प्रत्येक उधारकर्ता के लिए अधिकतम 1 किलो सोना स्वीकार्य होगा, जिसमें सोने और चांदी के सिक्कों की अलग-अलग सीमाएं निर्धारित होंगी।
- संपार्श्विक का पुनः उपयोग नहीं: एक बार गिरवी रखा गया सोना, जब तक पिछला लोन पूरा नहीं चुकाया जाता, तब तक दोबारा उपयोग नहीं किया जा सकता।
इन उपायों का उद्देश्य जोखिम को कम करना, दुरुपयोग को रोकना और गोल्ड लोन क्षेत्र में निष्पक्षता सुनिश्चित करना है।
वित्त मंत्रालय का हस्तक्षेप: छोटे उधारकर्ताओं की सुरक्षा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के नेतृत्व वाले वित्त मंत्रालय ने सुझाव दिया है कि ₹2 लाख से कम के लोन लेने वाले छोटे उधारकर्ताओं को इन कठोर नियमों से छूट दी जाए। साथ ही मंत्रालय ने यह भी प्रस्ताव दिया है कि इन नियमों के कार्यान्वयन को 1 जनवरी 2026 तक टाल दिया जाए, ताकि ऋणदाता और उधारकर्ता दोनों के पास नई व्यवस्था के अनुरूप ढलने का समय मिल सके।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और क्षेत्रीय चिंताएं
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने चिंता व्यक्त की है कि नए दिशा-निर्देश किसानों और दिहाड़ी मजदूरों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं। उन्होंने राज्य सरकारों से परामर्श लेकर नीति बनाने पर बल दिया। वहीं बीजेपी के राज्य अध्यक्ष नैनार नागेन्द्रन ने प्रस्तावित छूट का स्वागत किया और इसे सरकार की जनता की चिंताओं के प्रति संवेदनशीलता का प्रमाण बताया।
वित्तीय संस्थाओं पर प्रभाव
वित्त मंत्रालय की सिफारिशों के बाद, प्रमुख गोल्ड लोन प्रदाताओं के शेयरों में उतार-चढ़ाव देखा गया:
- मुथूट फाइनेंस: 4.9% की वृद्धि।
- मनप्पुरम फाइनेंस: 0.5% की वृद्धि।
- आईआईएफएल फाइनेंस: 0.6% की गिरावट।
ये परिवर्तन निवेशकों की भावनाओं और नियामकीय माहौल को लेकर उनकी अपेक्षाओं को दर्शाते हैं।
आगे की राह: नियमन और पहुंच के बीच संतुलन
आरबीआई के प्रस्तावित दिशा-निर्देशों का उद्देश्य गोल्ड लोन क्षेत्र की पारदर्शिता और विश्वसनीयता को बढ़ाना है, जिससे ऋणदाता और उधारकर्ता दोनों एक स्पष्ट और सुरक्षित ढांचे में कार्य कर सकें। हालांकि, वित्त मंत्रालय की ओर से सुझाई गई छूट यह स्पष्ट करती है कि नियमन के साथ-साथ उन कमजोर वर्गों की पहुंच भी सुनिश्चित करनी होगी, जो आपात स्थितियों में गोल्ड लोन पर निर्भर रहते हैं।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई सामग्री सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी पर आधारित है और इसे वित्तीय सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। निवेश से संबंधित निर्णय लेने से पहले पाठकों को किसी प्रमाणित वित्तीय सलाहकार से परामर्श करने की सलाह दी जाती है। लेखक और प्रकाशक इस लेख के आधार पर की गई किसी भी कार्रवाई के लिए उत्तरदायी नहीं होंगे।
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