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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की 13 फरवरी 2025 को संयुक्त राज्य अमेरिका की हालिया यात्रा भारत-अमेरिका संबंधों में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई। व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प जी के साथ मुलाकात के दौरान, दोनों नेताओं ने व्यापक चर्चा की, जिसमें प्रतिपार्श्व शुल्कों (Reciprocal Tariffs) पर विशेष ध्यान दिया गया। इस बैठक का उद्देश्य व्यापार असंतुलन को संबोधित करना और दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करना था।
प्रतिपार्श्व शुल्क (Reciprocal Tariff) की समझ
प्रतिपार्श्व शुल्क (Reciprocal Tariff) एक ऐसी व्यापार नीति है जिसमें एक देश अपने व्यापारिक साझेदार द्वारा लगाए गए शुल्क के बराबर शुल्क लगाता है। उदाहरण के लिए, यदि देश ‘A’ देश ‘B’ से आने वाले सामानों पर 10% शुल्क लगाता है, तो देश ‘B’ भी देश ‘A’ से आने वाले सामानों पर समान 10% शुल्क लगाएगा। इस दृष्टिकोण का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय व्यापार में निष्पक्षता और संतुलन को बढ़ावा देना है।
ऐतिहासिक संदर्भ: भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक गतिशीलता
भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों में वर्षों से महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में, द्विपक्षीय व्यापार $191 बिलियन तक पहुंच गया, जिससे अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया। हालांकि, इस संबंध में चुनौतियाँ भी रही हैं। अमेरिका ने लगातार भारत के शुल्क दरों पर चिंता व्यक्त की है, उन्हें प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से सबसे ऊँचा बताया है। दूसरी ओर, भारत ने अमेरिकी बाजार में अपने प्रमुख निर्यात, जैसे वस्त्र और जूते पर लगाए गए उच्च शुल्क की ओर इशारा किया है, जो कई उत्पादों पर 15% से 35% तक है।
बैठक: प्रमुख चर्चाएँ और परिणाम
इस बैठक के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी जी और राष्ट्रपति ट्रम्प जी ने कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर चर्चा की:
- व्यापार और प्रतिपार्श्व शुल्क (Reciprocal Tariff): राष्ट्रपति ट्रम्प जी ने व्यापारिक लेन-देन में “निष्पक्षता और पारस्परिकता” की आवश्यकता पर जोर दिया, व्यापार घाटे को उजागर किया और अमेरिकी उत्पादों पर भारत में लगाए गए शुल्क को कम करने की वकालत की। प्रधानमंत्री मोदी जी ने इन चिंताओं को स्वीकार किया और भारत की बातचीत की तत्परता व्यक्त की, जिसका उद्देश्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को $500 बिलियन तक पहुँचाना है।
- रक्षा सहयोग: नेताओं ने सैन्य संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा की, जिसमें अमेरिका ने भारत को उन्नत विमानों जैसे F-35 की बिक्री का प्रस्ताव दिया। यह पहल दोनों देशों के इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सुरक्षा सहयोग को बढ़ाने के हितों के अनुरूप है।
- ऊर्जा सहयोग: एक समझौता हुआ जिसके तहत अमेरिका भारत को तेल और प्राकृतिक गैस का प्रमुख आपूर्तिकर्ता बनेगा, जिसका उद्देश्य भारत के ऊर्जा स्रोतों में विविधता लाना और अमेरिकी ऊर्जा निर्यात के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार प्रदान करना है।
- प्रत्यर्पण समझौता: एक महत्वपूर्ण विकास में, राष्ट्रपति ट्रम्प जी ने 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों में आरोपी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दी। यह निर्णय आतंकवाद विरोधी प्रयासों में सहयोग को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है और भारतीय सरकार द्वारा इसे सकारात्मक रूप से लिया गया है।
कूटनीति में हास्य का पहलू
संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, राष्ट्रपति ट्रम्प जी ने प्रधानमंत्री मोदी जी की वार्ता कौशल पर मजाकिया टिप्पणी की, “वह मुझसे कहीं अधिक कठिन वार्ताकार हैं और मुझसे कहीं बेहतर वार्ताकार हैं। इसमें कोई मुकाबला नहीं है।” इस हल्की-फुल्की टिप्पणी ने दोनों नेताओं के बीच आपसी सम्मान को दर्शाया और राजनयिक प्रक्रियाओं में एक व्यक्तिगत स्पर्श जोड़ा।
प्रतिपार्श्व शुल्क (Reciprocal Tariff) के प्रभाव
प्रतिपार्श्व शुल्क (Reciprocal Tariff) की स्वीकृति के विभिन्न प्रभाव हो सकते हैं:
- भारतीय निर्यातकों के लिए: जबकि अमेरिका ने प्रतिपार्श्व शुल्क (Reciprocal Tariff) का प्रस्ताव दिया है, अध्ययन बताते हैं कि निर्यात प्रोफाइल में अंतर के कारण, इसका भारत पर सीमित प्रभाव हो सकता है। उदाहरण के लिए, यदि अमेरिका भारतीय पिस्ता पर 50% शुल्क लगाता है, तो इसका प्रभाव न्यूनतम होगा क्योंकि भारत पिस्ता का निर्यात नहीं करता।
- अमेरिकी व्यवसायों के लिए: बादाम और सेब जैसे उत्पादों पर शुल्क कम करने से भारतीय बाजार में नए अवसर खुल सकते हैं, जिससे बिक्री और लाभप्रदता में वृद्धि हो सकती है।
- उपभोक्ताओं के लिए: बेहतर व्यापारिक संबंधों से दोनों देशों में उपभोक्ताओं को अधिक प्रतिस्पर्धी कीमतों पर विभिन्न प्रकार के सामान उपलब्ध हो सकते हैं, जिससे उन्हें सीधा लाभ होगा।
आगे की राह
विशेषज्ञों का मानना है कि यह बैठक भारत और अमेरिका के बीच एक व्यापक व्यापार समझौते का मार्ग प्रशस्त कर सकती है। जबकि प्रतिपार्श्व शुल्क (Reciprocal Tariff) के विशिष्ट विवरण अभी तय नहीं हुए हैं, प्रारंभिक चर्चाएँ व्यापारिक असमानताओं को हल करने और संबंधों को मजबूत करने की आपसी इच्छा को दर्शाती हैं। जैसे-जैसे दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और सबसे पुराना लोकतंत्र सहयोग करते हैं, उनकी साझेदारी वैश्विक व्यापार और राजनयिक परिदृश्यों को पुनः आकार देने की क्षमता रखती है।
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