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भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साइप्रस का दो दिवसीय ऐतिहासिक दौरा किया — 23 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली यात्रा है। लारनाका हवाई अड्डे पर साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडुलाइड्स ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया—यह स्वागत जितना प्रतीकात्मक था, उतना ही रणनीतिक भी।
गर्मजोशी से स्वागत और ज़मीनी स्तर पर उत्साह
- हवाई अड्डे पर स्वागत: मोदी 15 जून को लारनाका अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचे, जहां उनका स्वागत बेहद व्यक्तिगत अंदाज़ में किया गया—राष्ट्रपति क्रिस्टोडुलाइड्स खुद, वित्त मंत्री, वरिष्ठ अधिकारी और उत्साहित भीड़ ने उनका स्वागत किया।
- प्रवासी भारतीयों का जोश: लिमासोल में भारतीय मूल के परिवारों ने भारतीय झंडों और बैनरों के साथ सड़कों पर स्वागत किया। देशभक्ति नारों के बीच मोदी ने बच्चों और परिवारों को गले लगाया और इसे “कई लोगों के लिए जीवन का अविस्मरणीय पल” बताया।
रणनीतिक और आर्थिक प्राथमिकताएँ
1. भारत–साइप्रस बिज़नेस राउंडटेबल
यह ऐतिहासिक आयोजन लिमासोल में हुआ, जहाँ दोनों देशों के नेताओं ने भाग लिया। मोदी ने भारत के डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन पर ज़ोर दिया, UPI (Unified Payments Interface) को यूरोपीय बाजार में लाने की बात कही (जो पहले ही फ्रांस के साथ शुरू हो चुका है), और भरोसा जताया कि भारत जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
2. इंडिया–मिडिल ईस्ट–यूरोप कॉरिडोर (IMEC)
दौरे की मुख्य उपलब्धियों में IMEC को लेकर चर्चा रही—यह एक मल्टी-मोडल ट्रेड रूट है जो भारत को मिडिल ईस्ट और साइप्रस के रास्ते यूरोप से जोड़ेगा। साइप्रस की रणनीतिक स्थिति, विशेष रूप से 2026 की शुरुआत में उसकी EU काउंसिल प्रेसिडेंसी को देखते हुए, इसे यूरोप के लिए एक महत्वपूर्ण गेटवे बनाती है।
3. सुरक्षा और क्षेत्रीय कूटनीति
आर्थिक सहयोग से आगे बढ़कर, इस दौरे में भू-राजनीतिक महत्व भी शामिल था। साइप्रस का तुर्की के विस्तारवाद के खिलाफ कड़ा रुख, EU के साथ मजबूत तालमेल, और कश्मीर तथा आतंकवाद पर भारत के पक्ष में उसका समर्थन इस दौरे को रणनीतिक रूप से और भी महत्वपूर्ण बनाता है।
दोस्ती का इतिहास
- राजनयिक संबंधों की शुरुआत:भारत और साइप्रस के बीच 1962 में औपचारिक राजनयिक संबंध स्थापित हुए थे। साइप्रस ने संयुक्त राष्ट्र, NSG और IAEA जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के रुख का निरंतर समर्थन किया है।
- UN शांति मिशन में भारत की भूमिका:भारत की लंबे समय तक UNFICYP (United Nations Peacekeeping Force in Cyprus) में सेवाओं को स्थानीय रूप से सम्मानित किया गया है—भारत के जनरलों का सम्मान, सड़कों का नामकरण—यह सब भारत और साइप्रस के बीच लोगों से लोगों के रिश्ते को दर्शाता है।
कूटनीतिक बिसात का व्यापक परिदृश्य
यह साइप्रस दौरा प्रधानमंत्री मोदी के तीन-देशीय दौरे की शुरुआत है: साइप्रस, कनाडा (G7 शिखर सम्मेलन के लिए), और क्रोएशिया। यह दौरा ऑपरेशन सिंदूर के बाद हो रहा है—जो एक बड़ा सैन्य कदम था—जिससे यह दौरा एक स्पष्ट राजनयिक संकेत बन जाता है, खासकर तुर्की और पाकिस्तान की निकटता को लेकर।
आगे क्या?
- व्यापार और निवेश: फिनटेक, नवीकरणीय ऊर्जा, समुद्री क्षेत्र और शिपबिल्डिंग में समझौते (MoUs) की उम्मीद।
- डिजिटल कनेक्टिविटी: भारत के डिजिटल फाइनेंस मिशन के अंतर्गत UPI विस्तार की चर्चा।
- रक्षा और सुरक्षा: समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद-विरोधी अभियान और रक्षा तकनीक में सहयोग की संभावनाएँ।
- लोगों से लोगों का जुड़ाव: प्रवासी भारतीयों से रिश्ते मजबूत करना, स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम और सांस्कृतिक आदान-प्रदान।
जरूरी जानकारी एक नजर में
- दौरे की तारीखें: 15–16 जून 2025 — पीएम मोदी का साइप्रस का पहला आधिकारिक दौरा।
- 23 वर्षों में पहली बार: पिछली बार कोई भारतीय प्रधानमंत्री (अटल बिहारी वाजपेयी) अक्टूबर 2002 में गए थे।
- गर्मजोशी से स्वागत: राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडुलाइड्स और वरिष्ठ अधिकारियों ने खुद लारनाका एयरपोर्ट पर स्वागत किया।
- प्रवासी भारतीयों का उत्साह: लिमासोल में भारी संख्या में भारतीयों ने नारों और भावनात्मक स्वागत से प्रधानमंत्री का अभिनंदन किया।
- बिज़नेस और स्टार्टअप्स: लिमासोल में द्विपक्षीय बिज़नेस राउंडटेबल का आयोजन—फोकस रहा व्यापार, फिनटेक, डिजिटल, रक्षा, लॉजिस्टिक्स, शिपिंग और मोबिलिटी पर।
- UPI और GIFT सिटी समझौते: डिजिटल फाइनेंस में प्रगति—Eurobank के साथ UPI एकीकरण और NSE International/GIFT City तथा साइप्रस स्टॉक एक्सचेंज के बीच MOU पर हस्ताक्षर।
- IMEC पहल: इंडिया–मिडिल ईस्ट–यूरोप कॉरिडोर के तहत साइप्रस को यूरोप से जोड़ने वाले रणनीतिक लिंक के रूप में प्रस्तुत किया गया।
- ग्रैंड क्रॉस सम्मान: पीएम मोदी को साइप्रस के सर्वोच्च राज्य सम्मान Grand Cross of the Order of Makarios III से सम्मानित किया गया।
- EU में साइप्रस की भूमिका: 2026 की पहली छमाही में साइप्रस EU काउंसिल प्रेसिडेंसी संभालेगा, जिससे वह एक महत्वपूर्ण EU सेतु बनता है।
- तुर्की को रणनीतिक संदेश: यह दौरा साइप्रस–तुर्की विवाद और अंकारा की पाकिस्तान के प्रति झुकाव के बीच एक राजनयिक संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
- द्विपक्षीय व्यापार: अप्रैल 2023 से मार्च 2024 के बीच भारत–साइप्रस व्यापार लगभग USD 137 मिलियन रहा।
- सुरक्षा और शांति मिशन: दौरे में पीएम मोदी ने UN बफर ज़ोन का दौरा भी किया—साइप्रस में भारत की ऐतिहासिक शांति मिशन की भूमिका को उजागर किया।
अस्वीकरण: यह लेख 16 जून 2025 तक सार्वजनिक रूप से उपलब्ध समाचार स्रोतों और आधिकारिक बयानों पर आधारित है। यथासंभव सटीकता सुनिश्चित की गई है, लेकिन चूंकि राजनयिक वार्ताएं जारी हैं, अतः भविष्य में कुछ परिवर्तन या अद्यतन संभव हैं। यह लेख किसी प्रकार की कानूनी या वित्तीय सलाह प्रदान नहीं करता।
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