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परिचय: एक ऐसा आदेश जिसने सीमाओं के पार गूंज छोड़ी
7 मई 2025 की सुबह, भारतीय खुफिया एजेंसियों द्वारा पकड़ा गया एक वाक्य सैन्य और राजनीतिक हलकों में हलचल मचा गया: “पहले अपनी जान बचाओ।” यह आदेश, जो कथित तौर पर एक वरिष्ठ पाकिस्तानी सेना कमांडर द्वारा ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दिया गया था, पाकिस्तान की सैन्य संरचना में संकट की स्थिति को उजागर करता है। यह निर्देश, जिसमें अधीनस्थों से कर्तव्य की जगह व्यक्तिगत सुरक्षा को प्राथमिकता देने को कहा गया, भारत के सटीक हमलों के दौरान पाकिस्तान की सेना द्वारा झेले गए संघर्षों का प्रतीक बन गया।
ऑपरेशन सिंदूर: सर्जिकल सटीकता के साथ निष्पादित कार्रवाई
ऑपरेशन सिंदूर, 26 लोगों की जान लेने वाले पाहलगाम आतंकवादी हमले के खिलाफ भारत की योजनाबद्ध और सटीक जवाबी कार्रवाई थी। भारतीय सशस्त्र बलों ने जबरदस्त समन्वय दिखाते हुए पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित नौ आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाया। इन शिविरों में शामिल थे:
- मारकज़ सुब्हान अल्लाह, बहावलपुर (जैश-ए-मोहम्मद)
- मारकज़ तैयबा, मुरिदके (लश्कर-ए-तैयबा)
- सरजल कैंप, सियालकोट (जैश-ए-मोहम्मद)
- महमूना जॉय कैंप, सियालकोट (हिजबुल मुजाहिदीन)
- मारकज़ अहले हदीस, बर्नाला (लश्कर-ए-तैयबा)
- मारकज़ अब्बास, कोटली (जैश-ए-मोहम्मद)
- मस्कर रहील शाहिद, कोटली (हिजबुल मुजाहिदीन)
- शवाई नाला कैंप, मुज़फ्फराबाद (लश्कर-ए-तैयबा)
- सैयदना बिलाल कैंप, मुज़फ्फराबाद (जैश-ए-मोहम्मद)
इस ऑपरेशन की खास बात यह थी कि इसमें कोई नागरिक हताहत नहीं हुआ, और आतंकी ठिकानों को सटीकता से नष्ट किया गया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसकी तुलना “कुशल सर्जनों” की तरह की गई कार्रवाई से की, जो इसकी बारीकी और रणनीतिक योजना का प्रमाण है।
पकड़ी गई बातचीत: भ्रम और डर की झलक
“पहले अपनी जान बचाओ” जैसे आदेश से पाकिस्तान की सेना में व्याप्त भय और अव्यवस्था उजागर हो गई। यह दर्शाता है कि भारतीय हमलों की तीव्रता और अचानकता ने पाकिस्तानी सेना के कमांड और नियंत्रण ढांचे को हिला कर रख दिया। मनोवैज्ञानिक रूप से, ऑपरेशन सिंदूर का गहरा असर पड़ा, और कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, कई पाकिस्तानी अधिकारी अपने मोर्चे छोड़कर भाग गए।
ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य: परंपरा से आगे बढ़ती कार्रवाई
2016 की उरी सर्जिकल स्ट्राइक्स या 2019 की बालाकोट एयरस्ट्राइक्स की तुलना में ऑपरेशन सिंदूर एक नया मील का पत्थर साबित हुआ। 1971 के बाद पहली बार, भारतीय सेनाओं ने पाकिस्तान के पंजाब प्रांत, खासकर बहावलपुर और सियालकोट जैसे क्षेत्रों में आतंकवादी अड्डों को निशाना बनाया। यह रणनीतिक विस्तार भारत की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया: विवादों के बीच प्रमोशन
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की सेना को आंतरिक और बाहरी आलोचना का सामना करना पड़ा। इसी बीच, 21 मई 2025 को जनरल असीम मुनीर को फील्ड मार्शल की प्रतिष्ठित रैंक पर पदोन्नत कर दिया गया, जिससे देश और विदेश में कई भौंहें तन गईं।
आलोचकों का मानना है कि यह पदोन्नति, असफल सैन्य नेतृत्व की छवि सुधारने और सेना के गिरे मनोबल को बढ़ाने का प्रचारात्मक प्रयास था। रिपोर्ट्स के अनुसार, ऑपरेशन सिंदूर के आरंभिक चरणों में जनरल मुनीर मोर्चे से नदारद थे और बंकरों में छिपे हुए थे, जिससे उनकी पदोन्नति पर सवाल उठे।
पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान, जेल से ही, इस प्रमोशन का मजाक उड़ाते हुए बोले कि मुनीर को खुद को “जंगल का राजा” घोषित कर देना चाहिए था ताकि सेना की राजनीतिक पकड़ को दर्शाया जा सके।
इसके अतिरिक्त, पाकिस्तानी सेना के पूर्व अधिकारी आदिल राजा ने भी मुनीर को एक “साइकोपैथ और विफल व्यक्ति” बताते हुए आरोप लगाया कि पाहलगाम हमला भी उन्हीं के आदेश पर हुआ था।
हालाँकि, पाकिस्तान सरकार ने इस निर्णय का बचाव करते हुए कहा कि मुनीर ने संघर्ष के दौरान नेतृत्व क्षमता दिखाई और यह प्रमोशन उनकी उत्कृष्ट सेवा की मान्यता है।
फिर भी, यह स्पष्ट होता जा रहा है कि भारत की सटीक और शक्तिशाली जवाबी कार्रवाई से पाकिस्तान को गहरी हार का सामना करना पड़ा। जनरल मुनीर, जो ऑपरेशन के दौरान अपने सैनिकों का उत्साह बढ़ाने की बजाय बंकरों में छिपे रहे, का प्रमोशन केवल एक प्रचार रणनीति नजर आती है।
पाकिस्तानी सेना, जिसकी रणनीति, हथियार और साहस सब कुछ ऑपरेशन सिंदूर में विफल रहे, अब हताश, भयभीत और भ्रमित दिखती है।
इस झूठे मनोबल को बढ़ाने की कोशिश भी बेअसर होती दिख रही है। पाकिस्तान की हार अब पूरे विश्व के सामने उजागर हो चुकी है और कोई भी देश इस समय पाकिस्तान के पक्ष में भारत के खिलाफ खड़ा नहीं है।
सूचना युद्ध: सच्चाई बनाम दुष्प्रचार
सैन्य टकरावों के साथ-साथ सूचना युद्ध भी चल रहा था। पाकिस्तान की मीडिया ने भारतीय विमान गिराने और सैन्य अड्डों पर हमलों का दावा किया, लेकिन भारत की प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) ने इन दावों को झूठा बताते हुए जनता से सत्यापित स्रोतों पर विश्वास करने की अपील की।
दृश्य प्रमाण: भारत की पारदर्शिता
दुष्प्रचार का जवाब देने के लिए, भारतीय सेना ने विडियो फुटेज जारी की जिसमें आतंकवादी शिविरों के ध्वस्त होने के दृश्य स्पष्ट दिखाई दिए। यह न केवल ऑपरेशन की सफलता का प्रमाण था, बल्कि भारत की पारदर्शिता और जवाबदेही की भी मिसाल थी।
निष्कर्ष: क्षेत्रीय समीकरणों में एक नया मोड़
ऑपरेशन सिंदूर भारत की रणनीतिक क्षमता और आतंकवाद के खिलाफ उसकी अटल नीति का स्पष्ट संकेत है। यह ऑपरेशन न केवल आतंकवादी नेटवर्क को तोड़ने में सफल रहा, बल्कि पाकिस्तानी सैन्य ढांचे की कमजोरियों को भी उजागर कर गया। जैसे-जैसे दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय समीकरण बदलते हैं, ऑपरेशन सिंदूर से मिले सबक आने वाले समय में भारत की रक्षा नीति और रणनीतिक सोच को आकार देंगे।
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