Please click here to read this in English
भारत सरकार ने 1971 के बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के बाद पहली बार सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 7 मई 2025 को राष्ट्रव्यापी सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल आयोजित करने का निर्देश दिया है। इस अभूतपूर्व अभ्यास का उद्देश्य किसी भी शत्रुतापूर्ण हमले की स्थिति में देश की तैयारियों को मजबूत करना है। यह अभ्यास ऐसे समय पर हो रहा है जब 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के साथ तनाव बढ़ गया है। इस हमले में 26 लोगों की जान गई थी, जिसके बाद नियंत्रण रेखा (LoC) पर संघर्षविराम उल्लंघनों की घटनाएं भी सामने आईं। यह ड्रिल देश के 244 चिन्हित सिविल डिफेंस जिलों में आयोजित की जाएगी, जिसमें एयर रेड सायरन, ब्लैकआउट प्रोटोकॉल, नागरिकों की निकासी प्रक्रियाएं, महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की छलावरण तैयारी और आपातकालीन हॉटलाइनों की सक्रियता की जांच की जाएगी।
पृष्ठभूमि और संदर्भ
पहलगाम आतंकी हमला
- 22 अप्रैल 2025 को आतंकवादियों ने कश्मीर के पहलगाम में हिंदू पर्यटकों को निशाना बनाया, जिसमें 26 नागरिकों की मौत हुई।
- भारत ने आधिकारिक रूप से इस हमले के लिए पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों को जिम्मेदार ठहराया है, हालांकि पाकिस्तान ने इस आरोप से इनकार किया है।
- हमले के बाद, पाकिस्तान ने दो मिसाइल परीक्षण किए, जिनमें एक 120 किलोमीटर की रेंज वाली सतह से सतह पर मार करने वाली “फतह” मिसाइल शामिल थी, जिससे क्षेत्रीय तनाव और अधिक बढ़ गया।
ऐतिहासिक तुलना
- भारत ने इस तरह की पिछली सिविल डिफेंस ड्रिल 1971 में बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के समय आयोजित की थी। यहां तक कि 1999 के करगिल युद्ध के दौरान भी इस तरह की कोई अभ्यास नहीं की गई थी।
- सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल्स “पैसिव डिफेंस स्ट्रेटेजी” का एक अहम हिस्सा होती हैं, जिनका उद्देश्य नागरिकों और प्रशासन को संभावित युद्ध जैसी परिस्थितियों के लिए तैयार करना होता है।
सरकारी आदेश और उद्देश्य
गृह मंत्रालय का निर्देश
- 5 मई 2025 को गृह मंत्रालय (MHA) ने एक आधिकारिक पत्र जारी किया, जिसमें देश के 244 चिन्हित सिविल डिफेंस जिलों को 7 मई को मॉक ड्रिल आयोजित करने का निर्देश दिया गया।
- यह पत्र फायर सर्विस, सिविल डिफेंस और होम गार्ड्स के महानिदेशालय द्वारा हस्ताक्षरित था, जिसमें यह कहा गया: “सर्वोत्तम सिविल डिफेंस तैयारियां… हर समय बनाए रखना अनिवार्य है।”
प्रमुख उद्देश्य
- पूरे देश में सिविल डिफेंस तंत्र की तत्परता का आकलन और सुधार।
- एयर रेड वार्निंग सिस्टम और सायरनों की कार्यशीलता की जांच।
- नागरिकों की सुरक्षित निकासी की प्रक्रियाओं का अभ्यास, जिसमें आपातकालीन हॉटलाइनों का उपयोग भी शामिल है।
- शहरी और संवेदनशील क्षेत्रों में बिजली कटौती जैसी “ब्लैकआउट” रणनीति को लागू करना।
- महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों को जल्दी से छलावरण (कैमोफ्लाज) करने की प्रक्रिया का अभ्यास।
ड्रिल के घटक
एयर रेड सायरन और ब्लैकआउट
- निर्धारित शहरी क्षेत्रों में समयबद्ध तरीके से एयर रेड सायरन बजाए जाएंगे, ताकि नागरिकों को आश्रय स्थलों में जाने का संकेत मिले।
- ब्लैकआउट प्रोटोकॉल के तहत बिजली कटौती का अभ्यास किया जाएगा, जिससे यह जांचा जाएगा कि स्थानीय उपयोगिता सेवाएं कितनी तेजी से आपातकालीन बंदी लागू कर सकती हैं और निकासी मार्गों के लिए जरूरी रोशनी बहाल कर सकती हैं।
निकासी और आपातकालीन हॉटलाइन्स
- नागरिकों को पहले से चिन्हित आश्रयों और बंकरों की ओर निकासी का अभ्यास कराया जाएगा, जिसकी निगरानी जिला प्रशासन और सिविल डिफेंस वार्डन करेंगे।
- विशेष हॉटलाइनों को सक्रिय किया जाएगा, जिनके माध्यम से लोग मॉक घटनाओं की सूचना दे सकेंगे और सहायता प्राप्त कर सकेंगे।
प्रारंभिक छलावरण और बुनियादी ढांचा सुरक्षा
- अभ्यास में बिजली संयंत्रों और जल शोधन केंद्रों जैसी महत्वपूर्ण संरचनाओं को जाल और पेंट के माध्यम से छलावरण करने की प्रक्रिया शामिल होगी ताकि हवाई हमलों से बचाव हो सके।
- इन महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों के लिए नई निकासी योजनाओं को अपडेट और अभ्यास किया जाएगा, जिससे विभिन्न एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित हो सके।
ज़मीनी स्तर पर अभ्यास और जनता की प्रतिक्रिया
- लखनऊ में सिविल डिफेंस स्वयंसेवकों, राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC) और होम गार्ड्स ने 7 मई से पहले पूर्वाभ्यास किया, जिसमें स्थानीय इलाकों में सायरन और ब्लैकआउट अभ्यास किया गया।
- एक पीटीआई फ़ोटो में भारतीय सेना और वायुसेना के जवानों को प्रयागराज और मेरठ के बीच गंगा एक्सप्रेसवे पर बंकर ड्रिल करते हुए दिखाया गया, जो तीनों सेनाओं के आपसी सहयोग का प्रतीक है।
भागीदारी और भूमिकाएं
- इस अभ्यास में जिला नियंत्रक, सिविल डिफेंस वार्डन, स्वयंसेवक, होम गार्ड (सक्रिय और आरक्षित), NCC, राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS), नेहरू युवा केंद्र संगठन (NYKS), और स्कूल‑कॉलेज के छात्र भाग ले रहे हैं।
- स्थानीय फायर सर्विस, पुलिस और नगर निकायों की टीमें भी यातायात नियंत्रण और भीड़ प्रबंधन में सहायता करेंगी।
महत्व और प्रभाव
- यह ड्रिल भारत की आंतरिक सुरक्षा और नागरिक रक्षा तैयारियों को मजबूत करने की प्रतिबद्धता का स्पष्ट संकेत है।
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रूस ने भारत के साथ एकजुटता दिखाई है, जबकि ईरान ने तनाव कम करने के लिए मध्यस्थता की पेशकश की है, जो दक्षिण एशिया की स्थिरता को लेकर वैश्विक चिंता को दर्शाता है।
- मूडीज़ ने चेतावनी दी है कि यदि यह तनाव बना रहा, तो यह पाकिस्तान की आर्थिक पुनर्बहाली और IMF कार्यक्रम पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है, जिससे क्षेत्रीय आर्थिक संकट उत्पन्न हो सकता है।
निष्कर्ष
यह राष्ट्रव्यापी मॉक ड्रिल—जो भारत में आधी सदी से अधिक समय बाद हो रही है—नागरिक रक्षा की अहमियत का स्पष्ट संकेत है। समुदायों की भागीदारी, स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित करने और प्रोटोकॉल की जांच के माध्यम से, देश यह सुनिश्चित करना चाहता है कि संकट की घड़ी में हर नागरिक तेजी से और सुरक्षित तरीके से प्रतिक्रिया देना जानता हो। उपमहाद्वीप में बढ़ते तनाव के बीच, 7 मई को होने वाली भारत की सिविल डिफेंस ड्रिल एक प्रभावशाली प्रतिरोध और जरूरी तैयारी उपाय के रूप में सामने आती है।
Leave a Reply