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हर कोई एक ही सवाल पूछ रहा है — ₹120 का सैंडविच ऑनलाइन ₹250 तक क्यों पहुंच जाता है? इसका जवाब छुपे हुए चार्जेस, ऊंचे कमीशन और एक ऐसे फूड डिलीवरी इकोसिस्टम में छिपा है जिसे Zomato और Swiggy जैसे दिग्गज कंपनियां नियंत्रित करती हैं। ये प्लेटफॉर्म्स रेस्टोरेंट्स से 16% से 30% तक का कमीशन वसूलते हैं, जिससे उन्हें मेनू की कीमतें बढ़ानी पड़ती हैं — और इसका सीधा असर उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ता है।
डुओपॉली का बोझ
- उच्च शुल्क, ऊंची कीमतें: रेस्टोरेंट्स को अपने मेनू की कीमतें कृत्रिम रूप से बढ़ानी पड़ती हैं ताकि ऐप्स द्वारा लिए जा रहे भारी कमीशन और पैकेजिंग/डिलीवरी शुल्क की भरपाई हो सके। नतीजा — ₹120 का सैंडविच आपको ₹250 में मिलता है।
- रेस्टोरेंट्स की परेशानी: छोटे रेस्टोरेंट अब खुलकर अपनी नाराज़गी जाहिर कर रहे हैं। एक रेस्टोरेंट मालिक ने साफ तौर पर कहा, “Zomato छोटे रेस्टोरेंट मालिकों के लिए अब टिकाऊ नहीं रहा।” कुछ अन्य लोगों ने अनावश्यक विज्ञापन शुल्कों को भी समस्या बताया।
- फेल हुए चैलेंजर्स: Uber Eats, Foodpanda, Amazon Food — इन सभी ने भारत में अपनी किस्मत आज़माई लेकिन वे छूट की लड़ाई, जटिल लॉजिस्टिक्स और बेहद कम मुनाफे की वजह से टिक नहीं पाए।
Ownly का आगमन: Rapido की नई रेसिपी
Bike-taxi के क्षेत्र में अपनी पकड़ बना चुके Rapido (हर दिन 40 लाख राइड्स और ~$1.1 बिलियन का मूल्यांकन) अब Ownly के जरिए फूड डिलीवरी में कूद चुका है। Ownly एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जिसे इस सोच के साथ बनाया गया है कि:
- कोई कमीशन नहीं: रेस्टोरेंट्स को ऑर्डर वैल्यू के हिसाब से नहीं, बल्कि एक फ्लैट डिलीवरी शुल्क देना होगा।
- ईमानदारी से मूल्य निर्धारण: ऑनलाइन मेनू की कीमतें वही होंगी जो ऑफलाइन मिलती हैं — बिना कोई छुपा हुआ खर्च।
- शुल्क का संतुलन: डिलीवरी शुल्क रेस्टोरेंट उठाएंगे:
- ₹100 तक के ऑर्डर पर ₹20 + GST
- ₹100 से ₹400 के बीच ₹25 + GST
- ₹400 से ऊपर के ऑर्डर (लगभग 4 किलोमीटर तक) पर ₹50
- कम से कम मूल्य नियंत्रण: पार्टनर रेस्टोरेंट्स को कम से कम 4 ऐसे आइटम लिस्ट करने होंगे जिनकी कीमत ₹150 से कम हो, ताकि आम आदमी की पहुंच बनी रहे।
- न्यायसंगत प्रमोशन: रेटिंग के आधार पर प्रमोशन मिलेगा — न कि विज्ञापन के पैसों के बदले।
फंडिंग और भविष्य की तैयारी
- मजबूत निवेश समर्थन: Prosus, WestBridge और Nexus Venture Partners जैसे दिग्गज निवेशकों ने लगभग ₹200 करोड़ Ownly के लिए निवेश किए हैं।
- मूल्यांकन और योजना: Rapido का वर्तमान मूल्यांकन $1 बिलियन से अधिक है और कंपनी भविष्य में Ownly को सब्सक्रिप्शन मॉडल के जरिए स्केल करने की योजना बना रही है।
- पायलट लॉन्च: Ownly का पहला ट्रायल बेंगलुरु में जून के अंत या जुलाई की शुरुआत में शुरू होने की उम्मीद है।
क्या Ownly सच में बदलाव ला पाएगा?
संभावित फायदे:
- छोटे रेस्टोरेंट्स को मिलेगा फायदा: कम फीस और बेहतर डेटा से टार्गेटेड मार्केटिंग करना आसान होगा।
- उपभोक्ताओं को राहत: “ऑफलाइन जैसा ही ऑनलाइन दाम” — यह सिद्धांत उन ग्राहकों को वापस खींच सकता है जो अब बढ़ती कीमतों से परेशान हो चुके हैं।
- प्रतिस्पर्धा लाएगी बदलाव: वर्तमान दिग्गज कंपनियों को भी शायद अपने भारी कमीशन नीति पर फिर से विचार करना पड़े।
मुख्य चुनौतियाँ:
- लॉजिस्टिक्स और क्वालिटी: खाना समय पर, साफ-सुथरा और सुरक्षित तरीके से पहुंचाना — ये सब सिर्फ बाइक राइडिंग से कहीं अधिक जटिल है।
- ब्रांड पर विश्वास की कमी: Zomato और Swiggy जैसी कंपनियों की जड़ें गहरी हैं — लोगों की वफादारी उनके साथ है।
- स्केल बनाम टिकाऊपन: सब्सिडी आधारित डिलीवरी लंबे समय तक चलाना महंगा है — Ownly को बड़ी मात्रा में ऑर्डर और भविष्य के सब्सक्रिप्शन मॉडल पर निर्भर रहना होगा।
कुछ विश्लेषकों का मानना है कि Ownly के लिए इस डुओपॉली में सेंध लगाना आसान नहीं होगा। लॉजिस्टिक्स में भारी निवेश और ग्राहकों की अपेक्षाएं ही इसकी सबसे बड़ी परीक्षा होंगी।
थोड़ी सी मिर्च-मसालेदार हँसी भी
जरा कल्पना कीजिए — एक डिलीवरी वाला बाइक पर ज़ोर से चिल्लाता है, “यहाँ कोई हिडन फीस नहीं है!” — लेकिन उसी वक्त Swiggy और Zomato के डिस्काउंट वाली डील्स उसे पछाड़ देती हैं। और शेफ्स के बीच एक मज़ाक भी चल रहा है — “Ownly? लगता है जैसे बोले ‘Only real prices!’” वे हँसते तो हैं, लेकिन सिर भी हिलाते हैं — ट्रांसपेरेंसी की मांग अब बहुत पुरानी हो चुकी है।
निष्कर्ष में
- समस्या: ऐप्स के छुपे शुल्क उपभोक्ताओं की जेब हल्की कर देते हैं और रेस्टोरेंट्स की कमाई में कटौती करते हैं।
- Ownly का प्रस्तावित समाधान: जीरो कमीशन, समान मूल्य और फ्लैट डिलीवरी शुल्क — जिससे खर्चों का बोझ रेस्टोरेंट्स उठाएं और ग्राहकों को सस्ती सेवा मिले।
- बड़ी चुनौती: लॉजिस्टिक्स, स्केल, ब्रांड ट्रस्ट और फ्री/लो-फी डिलीवरी का दीर्घकालीन खर्च एक बड़ा रोड़ा हो सकते हैं।
- मौका: यदि बेंगलुरु में Ownly की शुरुआत सफल होती है, तो शायद Swiggy और Zomato को भी अपनी मूल्य नीति सरल करनी पड़ेगी। और अगर नहीं, तो यह भी भारत की फूड डिलीवरी की असफल कोशिशों में शामिल हो जाएगा।
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